अब SATCOM से चलेगा इंटरनेट और मोबाइल का पूरा काम, खत्म हुआ SIM का टाइम

nikhil singh
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भारती ग्रुप समर्थित कंपनी Bharti Group-backed company) वन वेब (OneWeb) ने स्पेक्ट्रम (spectrum) के लिए आवेदन कर दिया है और इस साल जून तक कमर्शियल सैटेलाइट ब्रॉडबैंड (commercial satellite broadband) सेवाएं प्रारम्भ करने की आशा कर रही है।

यह बात ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Hughes Communications India Private Limited) के एक शीर्ष अधिकारी ने बताई है। ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया (Hughes Communications India) और OneWeb ने भारत में लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) कनेक्टिविटी सेवाएं देने के लिए छह वर्ष के डिस्ट्रीब्यूशन साझेदारी करार पर हस्ताक्षर किए हैं।

एक इंटरव्यू में ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Hughes Communications India Private Limited) के प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर शिवाजी चटर्जी (Shivaji Chatterjee) ने कहा कि OneWeb को भारत में अर्ली-मूवर एडवांटेज मिलेगा। इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी या तो विकास के चरण में हैं या डेटा लिंक स्पीड में पीछे हैं।

वन वेब (OneWeb) ने स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications) के वायरलेस प्लानिंग एंड कोऑर्डिनेशन विंग (Wireless Planning and Coordination Wing) को आवेदन किया है। शिवाजी चटर्जी (Shivaji Chatterjee) का कहना है कि स्पेक्ट्रम मिलने के बाद ही OneWeb अपनी कमर्शियल सेवाएं शुरू कर सकेगी।

शिवाजी चटर्जी (Shivaji Chatterjee) ने आगे कहा कि OneWeb का एयरो, मैरीटाइम और लैंड मोबिलिटी, 4G के लिए सेलुलर बैकहॉल, रक्षा, ऑफ-शोर रिग, दूरदराज के बैंक और उद्यम शाखाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

भारत सरकार ने सैटेलाइट कंपनियों को एडमिनिस्ट्रेटिव प्रक्रिया से स्पेक्ट्रम आवंटित करने का फैसला किया है, ना कि नीलामी से। शिवाजी चटर्जी (Shivaji Chatterjee) बताते हैं कि एडमिनिस्ट्रेटिव आवंटन का अर्थ यह नहीं है कि स्पेक्ट्रम मुफ़्त होगा। वीसैट सेवा प्रदाताओं को अभी भी स्पेक्ट्रम यूसेज़ चार्ज (spectrum usage charge) देना होता है।

वही इसके अलावा और भी कम्पनिया इस रेष में है। जहाँ जियो की यह MEO सैटेलाइट सर्विस अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुई है। वही अमेज़न की यह सर्विस अभी भी 2-3 साल दूर है और OneWeb की तरह B2B सेवाओं के बजाय B2C पर ध्यान देती है। शिवाजी चटर्जी (Shivaji Chatterjee) के मुताबिक, स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर कुछ नियमों और शुल्क पर अभी भी सरकार से और अधिक स्पष्टता का इंतजार है।

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